Poems
आने वाले कल पर क्या होगा दहेज़ का प्रभाव? (Impact of Dowry)
01:30Image Source: Maya |
लोगों को अक्सर कहते हुए मैंने सुना है
दहेज़ देना तो एक प्रथा है
ज़िन्दगी में हम आगे बढ़ते तो जा रहे हैं
पर क्या हम इस दहेज़ रूपी राक्षस को मिटा पा रहें हैं?
यह कविता उन लोगों के लिए लिखी गयी है जो शादी को दहेज़ के तराज़ू में तोलते हैं| आने वाले वक़्त में इन लोगों का क्या हाल हो सकता है, यह हसयकार ढंग से इस कविता में दर्शाया गया है!
आजकल के लोगों का कुछ ऐसा है हाल
परफ्यूम, टाई लगाकर तो दिखते हैं कमाल
अंदाज़ा नहीं लगा सकते तुम दोस्तों
कहते हैं दहेज़ लेना तो पाप है
हम तो बस छोटे मोटे गिफ्ट्स लिया करते हैं
दूल्हा है हमारा इंजीनियर
इसलिए बस पांच दस लाख की बात किया करते हैं
पड़ोसियों ने तो हमारे बहुत दहेज़ दिया
लड़का था डॉक्टर फिर भी पंद्रह लाख में लिया
दूर के रिश्तेदारों का तो काम तो दो लाख में बन गया
क्यूंकि लड़का दो महीने पहले लंगड़ा हो गया
किसी दिन दुल्हो की मार्किट लग जाएगी
पांच दस बीस लाख के पोस्टर्स से मार्किट सज जाएगी
गरीब लोग सेल का इंतज़ार किया करेंगे
और कुछ लोग इंस्टॉलमेंट्स वाले ऑफर्स चूज़ किया करेंगे
दूल्हों के व्यापारी अक्सर लड़कियों को मार दिया करते हैं
दहेज़ देना उन्हें भाता नहीं, इसलिए बस लिया करते हैं
रूपियो की कीमत उस नन्ही सी जान से ज़्यादा है
अपनी सोच उनसे बदलती नहीं और उसकी जान निकल लिया करते हैं
यही चीज़ हर रोज़ हमारे देश में होती है
और हम गर्व से कहते हैं हम हिंदुस्तान में रहा करते हैं?
आज भी ऐसे बहुत से इलाके हैं जहाँ एक लड़की को जनम लेते ही मार दिया जाता है|जब तक लोग लड़की को बोझ समझना बंद नहीं कर देते, इस दहेज़ रूपी राक्षस के समाज से बाहर निकाल पाना असंभव है| कई लोग दहेज़ देना अपना सम्मान समझते हैं तो कुछ लोग दहेज़ लेने में अपना बड्डपन. ये रिवाज़ पूरे समाज के लिए अभिशाप से काम नहीं| हर साल हज़ारो लड़कियां इस दहेज़ प्रता के चलते आत्महत्या कर लेती हैं, तो कई लडकिया ज़िंदा जला दी जाती है| डर के साये में रहकर कुछ ज़िन्दगी निकाल दिया करती हैं तो कुछ इसी धुन में डूब जाया करती हैं| अपने पर बीती को वो बहू पर आज़माती हैं और फिर एक और लड़की दहेज़ रूपी राक्षस से सेहम जाती हैं|
हमे समाज से ऐसी चीज़ो को हटाने के लिए सबसे पहले अपनी सोच को बदलने की ज़रूरत है. ये सोच ही पहली सीढ़ी है कर्म की ओर| यह राक्षस समाज पर अपना गहरा प्रभाव छोड़ चुका है और आने वाले वक़्त तक हमे इसे पूरी तरह से हटाना है और यह तभी हो सकता है जब हम जैसे समाज बनाने वाले लोग अपनी सोच को बदले!
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